फोनपे और गूगलपे को मिली दो साल की मोहलत, अब 2026 तक करना होगा यह काम
Updated on
01-01-2025
नई दिल्ली: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने थर्ड पार्टी ऐप फोनपे और गूगल पे के लिए यूपीआई में अपनी बाजार हिस्सेदारी कम करने की समयसीमा दो साल के लिए बढ़ा दी है। साथ ही वॉट्सऐप के लिए 10 करोड़ यूजर्स की ऑनबोर्डिंग सीमा भी हटा दी है। यह दूसरा मौका है जब एनपीसीआई ने समयसीमा बढ़ाई है। फोनपे और गूगल पे ने नए प्लेयर्स की एंट्री के बावजूद अपनी बाजार हिस्सेदारी क्रमशः 48% और 37% तक बढ़ाई है। नवंबर 2020 में, एनपीसीआई ने घोषणा की थी कि 31 दिसंबर, 2024 तक किसी भी थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर के पास कुल यूपीआई ट्रांजैक्शन वॉल्यूम का 30% से अधिक बाजार हिस्सा नहीं होना चाहिए।
यस बैंक पर रोक के बाद यह सीमा लागू की गई थी। यस बैंक पर गाज गिरने के कारण फोनपे का ट्रांजैक्शन प्रभावित हुआ और यूपीआई वॉल्यूम में रातोंरात लगभग 40% की गिरावट आई। इस कदम का मकसद सिंगल-पॉइंट फेल्योर के जोखिम को कम करना था। तबसे फोनपे ने यूपीआई लेनदेन को प्रोसेस करने के लिए कई बैंकों के साथ साझेदारी की है। हालांकि फोनपे और गूगल पे के मार्केट शेयर में लगातार तेजी जारी है क्योंकि थर्ड पार्टी प्लेयर पेटीएम को पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर आरबीआई के एक्शन के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
कितने ट्रांजैक्शन
30 दिसंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने 22.3 लाख करोड़ रुपये के 1,613 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए। पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन विश्वास पटेल ने कहा कि हम मार्केट कैप में विस्तार का स्वागत करते हैं। लोगों को दर्जनों नए यूपीआई ऐप में से सेलेक्ट करने का मौका मिलेगा। पेटीएम फिर से बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रहा है। साथ ही Navi, क्रेड, भीम, व्हाट्सएप पे और अन्य जैसे नए ऐप मजबूती से बढ़ रहे हैं। बैंक भी अपनी यूपीआई ऐप रणनीति बना रहे हैं। अगले दो साल में बाजार अपने आप ही मार्केट कैप के मुद्दे को हल कर लेगा। हालांकि मार्केट में कई प्लेयर हैं लेकिन वे अहम प्रभाव डालने में विफल रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वे ऐसे ट्रांजैक्शन हासिल करने के लिए खर्च करने को तैयार नहीं थे, जहां रेवेन्यू बहुत कम था या बिल्कुल नहीं था। अल्फाबेट की कंपनी गूगल पे और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले फोनपे ने अपने प्लेटफॉर्म पर यूजर्स को बढ़ाने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है। एनपीसीआई के भीम ऐप को प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के दौरान लॉन्च किया था। लेकिन कंपनी के रणनीति बदलने के बाद उसने शुरुआती मोमेंटम को गंवा दिया है। यह ऐप उन बैंकों को व्हाइट-लेबल सेवा के रूप में पेश किया गया था जिनके पास अपना खुद का यूपीआई ऐप नहीं था।
कैसे होगी कमाई
हालांकि, हाल ही में भीम को एक अलग डिवीजन बना दिया गया है और एनपीसीआई इस उत्पाद को और अधिक आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है। इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि यूपीआई रोजाना एक अरब लेनदेन हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। एक पेमेंट कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, 'इस तरह के वॉल्यूम और लो ऑपरेटिंग कॉस्ट स्ट्रक्चर को देखते हुए प्लेयर बड़े मर्चेंट्स सपर एक छोटा सा शुल्क लगाकर भी पैसा कमा पाएंगे।'
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